Diwali 2024 Date In India Calendar PDF: भारत का सबसे बड़ा और सबसे चमकदार त्योहार, दिवाली, हर साल असंख्य उम्मीदें और खुशियाँ लेकर आता है। यह पर्व केवल रोशनी और पटाखों का त्योहार नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरी धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएँ छिपी हुई हैं। दिवाली 2024 की तैयारियाँ जोरों पर हैं, और इस वर्ष, यह पर्व 31 अक्टूबर और 1 नवंबर के बीच मनाया जाएगा, जिससे कई लोगों के मन में तिथि को लेकर कुछ उलझन भी है। लेकिन सही पंचांग और धार्मिक परंपराओं के अनुसार, हम दिवाली की तिथि, पूजा के शुभ मुहूर्त, और इसके विभिन्न पहलुओं पर एक गहन नज़र डालेंगे।
इस लेख में, आपको न केवल दिवाली 2024 की सटीक तिथि और पूजा के समय की जानकारी मिलेगी, बल्कि हम इस त्योहार की महत्ता, परंपराएँ और त्योहार के हर दिन के पीछे छिपे धार्मिक संदर्भों को भी विस्तार से समझेंगे। चाहे आप घर पर लक्ष्मी पूजा करने की योजना बना रहे हों, या अपने परिवार और मित्रों के साथ इसे खास अंदाज़ में मनाना चाहते हों, दिवाली पांच दिनों का त्योहार है, जिसमें प्रत्येक दिन का अपना महत्त्व और अलग-अलग परंपराएँ होती हैं।
दिवाली का मुख्य दिन लक्ष्मी पूजन के लिए जाना जाता है, जब घरों को दीपों से सजाया जाता है और समृद्धि की देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस लेख में, हम दिवाली 2024 की तिथियों, पूजा के समय और अन्य सभी महत्वपूर्ण जानकारियों पर प्रकाश डालेंगे।
Diwali 2024 Date In India Calendar PDF
दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार पूरे देश में विशेष उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। दिवाली का महत्त्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से है बल्कि यह हमारे जीवन में समृद्धि, प्रेम, और उत्साह का प्रतीक भी है। अगर आप दिवाली 2024 के लिए इंडिया कैलेंडर PDF ढूंढ रहे हैं, तो यह आपके पूरे परिवार और मित्रों के लिए त्योहार की तारीखें और शुभ मुहूर्त के साथ मददगार साबित होगा।
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दिवाली 2024 का महत्त्व और परंपराएँ
दिवाली का त्योहार भारत के हर कोने में अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है। कहीं यह धार्मिक पूजा के रूप में मनाया जाता है, तो कहीं यह सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सव के रूप में। आइए जानते हैं दिवाली के दौरान पालन की जाने वाली कुछ प्रमुख परंपराएँ:
1. धनतेरस (29 अक्टूबर 2024)
दिवाली के पहले दिन को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग नए बर्तन, सोना, चांदी और आभूषण खरीदते हैं। यह दिन भगवान धन्वंतरि और देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए समर्पित है।
2. नरक चतुर्दशी (30 अक्टूबर 2024)
नरक चतुर्दशी, जिसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है, दिवाली के एक दिन पहले मनाई जाती है। इस दिन लोग विशेष रूप से सफाई और सजावट करते हैं और भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं, जिन्होंने नरकासुर का वध किया था।
3. मुख्य दिवाली (31 अक्टूबर 2024)
मुख्य दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा की जाती है। इस दिन लोग अपने घरों को दीयों और रोशनी से सजाते हैं, ताकि देवी लक्ष्मी का स्वागत हो सके। लक्ष्मी पूजा का समय शाम के प्रदोष काल में होता है, जो अत्यंत शुभ माना जाता है।
4. गोवर्धन पूजा (2 नवंबर 2024)
गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन होती है, जिसमें भगवान कृष्ण की गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा को मनाया जाता है। इस दिन लोग विशेष रूप से अन्नकूट का आयोजन करते हैं, जिसमें भगवान को विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है।
5. भाई दूज (3 नवंबर 2024)
दिवाली का अंतिम दिन भाई दूज होता है, जो भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए पूजा करती हैं और भाई उन्हें उपहार देते हैं।
Diwali 2024 Date in India
दिवाली का उत्सव पूरे भारत में मनाया जाता है, लेकिन इसकी तारीख को लेकर इस बार कुछ भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है। दिवाली की सही तिथि का पता लगाना जरूरी है क्योंकि इसके पीछे धार्मिक मान्यताओं का गहरा संबंध होता है।
दिवाली 2024 में 31 अक्टूबर को मुख्य रूप से मनाई जाएगी, लेकिन कुछ स्थानों पर इसे 1 नवंबर को भी मनाया जा सकता है। इसका कारण यह है कि अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर 2024 को दोपहर 3:52 बजे शुरू हो रही है और 1 नवंबर 2024 को शाम 6:16 बजे समाप्त होगी। पंचांग के अनुसार, जहां अमावस्या तिथि प्रदोष काल के दौरान आती है, वहीं दिवाली मनाई जाती है। अतः, 31 अक्टूबर को दिवाली मनाना ज्योतिषीय रूप से अधिक शुभ माना जा रहा है।
What is the real date of Diwali in 2024 (दिवाली की असली तारीख क्या है)
जब हम दिवाली की असली तारीख की बात करते हैं, तो यह उन धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं पर निर्भर करता है जो विभिन्न क्षेत्रों में मान्य होती हैं। 2024 में दीपावली की असली तारीख 31 अक्टूबर है, क्योंकि इस दिन अमावस्या तिथि प्रदोष काल के समय में आती है। प्रदोष काल वह समय होता है जब सूर्यास्त के बाद पूजा करने का सबसे शुभ समय माना जाता है।
कुछ लोग अमावस्या के अगले दिन, यानी 1 नवंबर को भी दिवाली मनाने की बात कर रहे हैं, लेकिन 1 नवंबर को अमावस्या तिथि सूर्यास्त के बाद समाप्त हो जाएगी, जो कि दिवाली पूजा के लिए उचित नहीं मानी जाती। इसलिए, सही तिथि 31 अक्टूबर 2024 है।
What is the time for Diwali Puja in 2024 (दिवाली पूजा का समय क्या है)
दिवाली पूजा के लिए शुभ समय या मुहूर्त विशेष महत्त्व रखता है। हर साल, ज्योतिष के अनुसार, लक्ष्मी पूजा को प्रदोष काल के दौरान करने का नियम होता है। 2024 में लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 31 अक्टूबर 2024 को शाम 5:36 बजे से 6:16 बजे तक है। इस दौरान पूजा करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाएगा।
इसके अलावा, पूरे दिन और रात में दीपक जलाना और लक्ष्मी जी का आवाहन करना समृद्धि और धन की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। यह समय न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी शुभ होता है, क्योंकि इस दौरान देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं।
2024 में दीपावली किस दिन होगी?
2024 में दीपावली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी। यह दिन विशेष रूप से अमावस्या तिथि के प्रदोष काल में आता है, जो दिवाली पूजा के लिए सबसे शुभ समय माना जाता है। कुछ क्षेत्रों में 1 नवंबर को भी दिवाली मनाने की बात की जा रही है, लेकिन ज्योतिषीय रूप से 31 अक्टूबर 2024 को दिवाली मनाना ही सही होगा।
इस वर्ष की दिवाली में विशेष बात यह है कि अमावस्या तिथि का प्रारंभ 31 अक्टूबर को हो रहा है, जो इसे दिवाली मनाने के लिए आदर्श दिन बनाता है। इस दिन लक्ष्मी पूजन, दीप जलाने और पटाखे फोड़ने के साथ परिवार और मित्रों के साथ खुशियाँ मनाई जाती हैं।
निष्कर्ष –
दिवाली 2024 का त्योहार 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा, और इस दिन लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:36 बजे से 6:16 बजे तक रहेगा। यह दिन न केवल धार्मिक रूप से बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है, जहां लोग अपने परिवार और मित्रों के साथ खुशियाँ बाँटते हैं और समृद्धि की कामना करते हैं। चाहे आप धनतेरस के दिन नए सामान खरीद रहे हों या भाई दूज पर अपने भाई-बहनों के साथ जश्न मना रहे हों, दिवाली का प्रत्येक दिन अपनी विशेषता और महत्त्व लिए हुए है।
इस दिवाली, रोशनी और खुशियों का यह पर्व आपके जीवन में समृद्धि और सफलता लाए, यही शुभकामनाएँ हैं!
FAQS – Diwali 2024
Q. 2024 में दिवाली किस तारीख को है?
दिवाली 2024 गुरुवार, 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी। कुछ क्षेत्रों में यह उत्सव 1 नवंबर तक भी चल सकता है, लेकिन लक्ष्मी पूजा का मुख्य दिन 31 अक्टूबर को है, जो सबसे शुभ माना जाता है।
Q. दिवाली क्यों मनाई जाती है?
दिवाली अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई, और अज्ञानता पर ज्ञान की विजय का प्रतीक है। यह भगवान राम की अयोध्या वापसी का जश्न है, जब उन्होंने रावण को हराया था। इसके साथ ही, यह माता लक्ष्मी की पूजा से जुड़ा हुआ है, जो धन और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं।
Q. दिवाली के पांच दिन कौन से होते हैं और उनका क्या महत्व है?
दिवाली के पांच दिन हैं –
- धनतेरस (29 अक्टूबर 2024) माता लक्ष्मी की पूजा का दिन, जिसमें सोना या बर्तन खरीदने की परंपरा है।
- छोटी दिवाली (31 अक्टूबर 2024) इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था।
- बड़ी दिवाली (31 अक्टूबर 2024) दिवाली का मुख्य दिन, जब लक्ष्मी पूजा की जाती है और घरों में दीये जलाए जाते हैं।
- गोवर्धन पूजा (2 नवंबर 2024) इस दिन भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की घटना का स्मरण किया जाता है।
- भाई दूज (3 नवंबर 2024) भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक यह त्योहार भाईयों की लंबी आयु और बहनों की सुरक्षा के लिए मनाया जाता है।
Q. दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का क्या महत्व है?
लक्ष्मी पूजा के माध्यम से माता लक्ष्मी का आह्वान किया जाता है, जो उन घरों में आती हैं जो साफ-सुथरे और दीयों से सजे होते हैं। इस पूजा से घर में समृद्धि, धन, और खुशहाली का आशीर्वाद मिलता है।
Q. 2024 में लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
2024 में लक्ष्मी पूजा का शुभ समय 31 अक्टूबर को 05:36 PM से 06:16 PM तक है, जिसे प्रदोष काल कहा जाता है, यह समय सूर्यास्त के बाद अमावस्या तिथि में आता है।
Q. दिवाली पर कौन-कौन से प्रमुख अनुष्ठान किए जाते हैं?
दिवाली के प्रमुख अनुष्ठान हैं –
- घरों की सफाई और सजावट, जिसमें रंगोली और दीयों का उपयोग होता है।
- दीयों का प्रज्वलन, जो अंधकार को दूर करता है।
- लक्ष्मी और गणेश पूजा, जिसमें समृद्धि और बाधाओं को दूर करने के लिए आशीर्वाद मांगा जाता है।
- पटाखे फोड़ना, हालांकि अब पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ने से कम प्रदूषण वाले पटाखों का प्रचलन हो रहा है।
- मिठाइयों और उपहारों का आदान-प्रदान खुशियों के साथ किया जाता है ।
Q. दिवाली को ‘प्रकाश पर्व’ क्यों कहा जाता है?
दिवाली को प्रकाश पर्व कहा जाता है क्योंकि इस दिन घर, मंदिर, और सार्वजनिक स्थानों पर दीयों, मोमबत्तियों और रोशनी से सजावट की जाती है। यह प्रकाश की अंधकार पर जीत और अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है। दीयों की रोशनी से घरों में माता लक्ष्मी का स्वागत किया जाता है।
Q. दिवाली से जुड़ी कहानी क्या है?
दिवाली भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग कहानियों से जुड़ी है –
- उत्तर भारत में यह भगवान राम की अयोध्या वापसी और रावण पर उनकी जीत का जश्न है।
- पश्चिमी भारत में यह भगवान विष्णु द्वारा राक्षस बलि को हराने से जुड़ी है।
- पूर्वी भारत में यह माता काली की बुराई पर विजय का प्रतीक है।
- व्यापार समुदायों के लिए, दिवाली नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है।
Q. क्या दिवाली को पर्यावरण के अनुकूल तरीके से मनाया जा सकता है?
- मिट्टी के दीयों का उपयोग करें, जो प्लास्टिक या बिजली के लाइटों से बेहतर हैं।
- पटाखों से बचें या इको-फ्रेंडली ग्रीन पटाखों का उपयोग करें।
- सजावट के लिए प्राकृतिक सामग्री जैसे फूल और पत्तियों का प्रयोग करें।
Q. दिवाली पर घरों में दीये जलाने का क्या महत्व है?
दिवाली पर घरों में दीये जलाना अंधकार को दूर करने और माता लक्ष्मी का स्वागत करने का प्रतीक है। यह दीपक घर में सुख-समृद्धि और शांति का प्रतीक माना जाता है